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बिहार में इंस्पायर अवार्ड योजना पर कार्रवाई: 462 स्कूल प्राचार्यों से 24 घंटे में मांगा गया जवाब

बिहार में इंस्पायर अवार्ड योजना पर कार्रवाई: 462 स्कूल प्राचार्यों से 24 घंटे में मांगा गया जवाब

बिहार: इंस्पायर अवार्ड योजना में लापरवाही, 462 प्राचार्यों पर गिरी गाज

बिहार में शिक्षा विभाग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए **462 स्कूल प्राचार्यों** से इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के तहत छात्रों को नामांकित न करने पर 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है। यह कार्रवाई शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक के निर्देश पर हुई है, जिन्होंने सरकारी योजनाओं के प्रति लापरवाही को गंभीरता से लिया है।

क्या है इंस्पायर अवार्ड योजना?

इंस्पायर अवार्ड मानक योजना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा चलाई जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य कक्षा 6 से 10 तक के छात्रों में विज्ञान और रचनात्मकता को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत, छात्रों को नए और इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सफल होने पर, केंद्र सरकार प्रत्येक छात्र को **₹10,000** की प्रोत्साहन राशि देती है ताकि वे अपने प्रोजेक्ट को और बेहतर बना सकें।

प्राचार्यों पर कार्रवाई क्यों?

शिक्षा विभाग ने पाया कि इन 462 विद्यालयों ने इस महत्वपूर्ण योजना में **एक भी छात्र का नामांकन नहीं किया था**। यह न केवल छात्रों को एक बड़े अवसर से वंचित करना है, बल्कि सरकारी पहल की उपेक्षा भी है। विभाग का मानना है कि प्राचार्यों की यह लापरवाही सीधे तौर पर छात्रों के भविष्य और राज्य में विज्ञान शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयासों पर असर डाल रही है।

आगे क्या हो सकता है?

प्राचार्यों को दिए गए 24 घंटे के भीतर संतोषजनक जवाब देना होगा। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी **अनुशासनात्मक कार्रवाई** की जा सकती है, जिसमें उनके वेतन में कटौती या निलंबन भी शामिल हो सकता है। इस सख्त कदम का उद्देश्य सभी स्कूलों में सरकारी योजनाओं के सही कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है।

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