एलाआईसी के रुपये के नाम पर शिक्षक से 23.42 लाख की ठगी
अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक में सहायक अध्यापक पर है पीड़ित
अमर उजाला समाचार पत्र के अनुसार
अल्मोड़ा के सल्ट में तैनात सहायक अध्यापक को एलआईसी के रुपये देने का झांसा देकर साइबर ठगों ने 23.42 लाख की ठगी कर ली। पीड़ित की शिकायत पर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ है।
रुद्रपुर। नई गदर खेड़ा भुड़ियाणा निवासी पुष्कर सिंह बोरा के अनुसार कुछ समय पूर्व उनके टेलीग्राम पर रीमा नाम का अकाउंट से मैसेज आया। उसने खुद को ग्रोवेरियन ट्रेडिंग कंपनी का अधिकारी बताते हुए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग पोर्टल का लिंक भेजा। इस लिंक से उनका अकाउंट खुलवाया। उनकी निवेश कर ज्यादा मुनाफा कमाने का लालच दिया। मुनाफे के लालच में अपने दो बैंक खातों से 18 जून से 10 जुलाई तक 19 ट्रांजैक्शन से 12,01,601 रुपये बताए गए अकाउंट में ट्रांसफर किए थे। 18 जून को उनके बैंक खातों में दो बार 16,782 और 34,041 रुपये नाम सहित वापस आए। उन्होंने निवेश की गई धनराशि में अत्यधिक लाभ प्रदर्शित होने पर उसे निकालने का आग्रह किया। उनको 1,41,837 रुपये देने पर ही पैसे ट्रांसफर होने की बात कही थी। इस पर उन्होंने अपने साथ साइबर ठगी का अंदेशा हुआ था। उन्होंने साइबर धोखाधड़ी की शिकायत 24 जुलाई को एएसआरपी पोर्टल पर की। साइबर थाना प्रभारी अरुण कुमार ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर केस दर्ज कर रुद्रपुर कोतवाली ट्रांसफर किया गया है। ब्यूरो
काशीपुर। काशीपुर के लक्ष्मीपुर हल्द्वानी निवासी महेंद्र चंद्र के अनुसार वे 2022 से सल्ट ब्लॉक के माध्यमिक विद्यालय म्याड़ी में अध्यापक है। 23 जून को उनको अज्ञात नंबर से नवीन शुक्ला नाम के व्यक्ति का फोन आया। कॉलर ने खुद को एलआईसी का प्रतिनिधि बताया था। इसके बाद दूसरे नंबर से महिला ने फोन किया।
महिला ने खुद को एलआईसी अधिकारी बताते हुए कहा कि उनकी एलआईसी में एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की ओर से यूनिट वैल्यू बनाई गई है। कॉलर के कहने पर उन्होंने एचओडी प्रेमचंद कोठारी से बात की। कोठारी ने एलआईसी में रुपये आने और देरी होने पर वापस जाने की बात कही। उन्हें झांसा दिया गया कि रुपये पाने के लिए कुछ पैसे पहले जमा करने होंगे।
उन्होंने 23 जून से तीन अगस्त तक एसबीआई काशीपुर से अलग-अलग खातों में 19 ट्रांजैक्शन से 13,65,097 रुपये जमा किए। जिला सहकारी बैंक मौलेखाल के खाते से एनईएफटी से कई खातों में पांच बार में 9,77,000 रुपये ट्रांसफर किए। इसके बाद उनकी उक्त लोगों से बातचीत रही।
तीन अगस्त को अंतिम ट्रांजैक्शन 12 हजार के बाद उन्होंने रुपये डालने से मना कर दिया। उनको बताया गया कि 10 अगस्त तक उनके खाते में पैसे आ जाएंगे। 10 अगस्त को जब रुपये नहीं आए तो उन्होंने उक्त लोगों से संपर्क किया। सभी के मोबाइल बंद आने पर उनको ऑनलाइन धोखाधड़ी का अहसास हुआ। 23 जून से तीन अगस्त तक उनके खाते से लेकर 23,42,097 रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी की गई। साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन प्रभारी अरुण कुमार ने बताया कि सहायक अध्यापक से ठगी के मामले में केस दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है। मोबाइल नंबरों के साथ ही जिन खातों में रुपये ट्रांसफर करवाए गए है, उनका ब्यौरा संबंधित बैंकों से जुटाया जा रहा है।